बात से पहले की बात मित्रो मैं आपका नया मित्र आपसे निरंतर संवाद की आकांक्षा लिए आपके बीच उपस्थित हो गया हूँ ! 'बात बोलेगी ' मेरा वह स्तम्भ है जो वर्षों जनसत्ता एवं कुछ अन्य पत्रिकाओं में छपता रहा, पुस्तकाकार में भी अवतरित होने जा रहा है किन्तु बातों का कोई अंत थोड़े ही है! बातें तो रोज़ पैदा होती हैं किन्तु महत्वपूर्ण बातें वे होती हैं जो बोलती भी हैं. ऐसी ही बोलती बातें लेकर में हर सप्ताह आपके बीच उपस्थित रहूँगा. आप इन्हें पढ़ने की कृपा करें (यदि रुचें तो !) और फिर इन पर चर्चा की जाये, मेरी तीखी से तीखी आलोचना हो, सुझाव हों, क्या पता बात कहाँ से कहाँ पहुँच जाए ! है न ! तो फिर अगले सप्ताह हम फिर मिलेंगे एक ऐसी बात के साथ जो बोलेगी!
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